

“मेडिकल के क्षेत्र में रीढ़ की हड्डी है पैरामेडिकल साइंस"
पैरा मेडिकल साइंस, मेडिकल साइंस की एक अहम शाखा के रूप में अपनी जगह बना चुकी है। कैंसर, टीबी, एड्स, हैपेटाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियां पूरे विश्व में लाखों लोगों की सेहत को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में चिकित्सा से जुड़ी सेवाओं की बड़े स्तर पर मांग की जा रही है, जहां पैरामेडिकल साइंस कोर्स मेडिकल फील्ड में उपलब्ध इन अवसरों को अपने नाम करने की काबिलियत प्रदान करते हैं। पैरा मेडिकल सर्विसेज किसी भी हेल्थकेयर इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। हेल्थकेयर इंडस्ट्री में हो रहे विस्तार ने प्रशिक्षित पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स यानी पैरामेडिक के लिए नौकरियों के कई अवसर खोल दिए हैं। पैरा मेडिकल साइंस में मुख्य रूप से फिजियोथेरेपी, फार्मेसी, रेडियोग्राफी, मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नोलॉजी, नर्सिंग, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, डेंटल हाइजीन डेंटल मेकैनिक्स, ऑप्टोमेट्री जैसे कई फील्ड शामिल हैं और इसी सिलसिले में अब कई जॉब ओरिएंटेड डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज शुरू किए जा चुके हैं। दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की प्रिंसिपल डॉ. अरुणा सिंह के मुताबिक अगले 5 वर्षों में 22 प्रतिशत तक हेल्थकेयर मैनेजमेंट में रोजगार बढ़ने की संभावनाएं हैं।

पैरामेडिकल के हॉट सेक्टर: ऐसे तो इस फील्ड में कई ऐसे सेक्टर्स है जिसमे जिसमे युवा खासा करियर बना सकते हैं पर कुछ सेक्टर्स ऐसे भी हैं जो इस क्षेत्र में हॉट सेक्टर्स माने जाते हैं जैसे रेडियोग्राफी, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट, जिनकी डिमांड देश ही नही विदेशों में भी खूब है।

सर्वेक्षण के मुताबिक : एनएसडीसी के मुताबिक 2022 तक भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर में 74 लाख वर्कफोर्स की जरूरत होगी। ग्रेजुएट से लेकर एमबीबीएस, बी फार्मा व स्पेशलाइज्ड डिग्री इन पैरामेडिकल साइंस होल्डर्स के लिए आने वाले सालों में यहां अच्छे मौके होंगे। उल्लेखनीय है कि अलग -अलग मेडिकल सर्विसेज में 11 लाख एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल्स जैसे नर्सिंग एसोसिएट्स, मेडिकल असिस्टेंट्स, मेडिकल इक्विपमेंट ऑपरेटर्स, फिजियोथैरेपिस्ट, डायटीशियन व डेंटल असिस्टेंट्स शामिल हैं। ये भी वर्तमान जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि इस सेक्टर में बड़ी संख्या में पेशेवरों की मांग है।

हेल्थकेयर के अलग-अलग हिस्सों में अवसर: अगर हॉस्पिटल्स की बात करें तो देश भर में 20,000 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं। इसके अलावा 5400 करोड़ डॉलर के प्राइवेट हॉस्पिटल मार्केट ने इसे मजबूत सेग्मेंट बनाया है। हालांकि स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कमी इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या है। भारत में प्रति 1700 लोगों पर एक डॉक्टर है जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह अनुपात 1:1000 है। पीडब्ल्यूसी स्टडी के अनुसार, भारत में 30 लाख डॉक्टर्स व 60 लाख नर्सों की कमी है। इसके अलावा 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में 64 लाख एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की कमी है। निश्चित तौर पर आने वाले सालों में क्वालिफाइड फिजिशियंस, नर्स, पैरामेडिक्स स्टाफ के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे।

डायग्नोस्टिक्स इंडस्ट्री में पैथोलॉजी व इमेजिंग सेंटर्स के साथ मौजूदा डायग्नोस्टिक इंडस्ट्री का आकार 800 करोड़ डॉलर है। देश में लगभग 1 लाख लैबोरेट्री हैं। इनमें से 70 प्रतिशत पैथोलॉजी व 36 प्रतिशत रेडियोलॉजी व इमेजिंग सर्विसेज दे रही हैं। उल्लेखनीय है कि बड़ी लैब्स हर दिन 2 हजार से 3 हजार टेस्ट करती हैं। ऐसे में बायोकेमिस्ट्री, हिमेटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी से जुड़ी पढ़ाई काम के मौके दे सकती है।